
लंबे समय के बाद आखिरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया को भोपाल में बंगला मिल ही गया । वे लंबे समय से भोपाल में एक बंगले की मांग कर रहे थे । राजनीतिक महकमों में एक सवाल यह भी था कि आखिरकार सिंधिया को भोपाल में बंगले की जरूरत आन पड़ी । दरअसल भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने को 4 साल पहले दी गई एक पत्रकार की सलाह स्वीकार कर लिया है। तब ज्योतिरादित्य सिंधिया कांग्रेस में थे और उन्होंने इन्हीं पत्रकार की सलाह पर तत्कालीन शिवराज सरकार से बंगले की माँग रखी थी लेकिन विपक्षी सिंधिया को भाजपा सरकार ने बंगला आवंटित नहीं किया ।
जानकारी के अनुसार उन्होंने भोपाल के एक वरिष्ठ पत्रकार से पूछा कि मप्र का मुख्यमंत्री बनने के लिए क्या करना चाहिए। इस सवाल के जबाव में पत्रकार ने सिंधिया को सलाह दी कि अलीगढ से एक ताला मँगाईए और दिल्ली के बंगले में लगाकर भोपाल शिफ्ट हो जाइए। तब सिंधिया ने इस सलाह को मजाक में उड़ा दिया था। लेकिन अनुभवों से सीख लेकर आखिर सिंधिया ने अब आधी सलाह मान ली है। 2018 में कांग्रेस सरकार बनने के बाद भी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कमलनाथ से बंगले की मांग रखी लेकिन पार्टी में उपेक्षित महसूस कर रहे सिंधिया को तब भी निराशा हाथ लगी,कमलनाथ ने सिंधिया को बंगला न देते हुए अपने पुत्र और छिंदवाड़ा सांसद नकुलनाथ को बंगला आवंटित कर दिया ।
जैसा कि सिंधिया को पत्रकार ने सलाह दी थी कि दिल्ली के बंगले में ताला लगाकर भोपाल शिफ्ट हो जाएं लेकिन वे बेशक दिल्ली में ताला नहीं लगाएगें, लेकिन भोपाल में बसने का निर्णय ले लिया है। सोमवार को सिंधिया ने भोपाल के बंगले में गृह प्रवेश किया है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषक इसे ज्योतिरादित्य सिंधिया का मप्र की राजनीति में प्रवेश मान रहे हैं। यानि अगले विधानसभा चुनाव में सिंधिया भाजपा का चेहरा हो सकते हैं, राजनीति के पंडित सिंधिया को शिवराज के उत्तराधिकारी बनने के शीत युद्ध करते भाजपा के बड़े नेताओं के विकल्प के तौर पर आंक रहे हैं, इन सवालों के जबाव भले ही भविष्य के गर्भ में हो लेकिन मुख्यमंत्री बनने की चाहत में सिंधिया का भोपाल निवास अब तैयार है ।

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