ये भाजपा है जितनी जल्दी बढ़ाती है उतनी जल्दी रोकती भी है

भारतीय जनता पार्टी को केडर बेस पार्टी कहा जाता है और यही कारण है कि इस पार्टी में कब किस कार्यकर्ता को बड़ी जगह मिल जाए कहा नहीं जा सकता । हाल ही में ताजातरीन उदाहरण अनुसूचित जनजाति की महिला मुर्मू को राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की ओर से उम्मीदवार घोषित कर भारतीय जनता पार्टी ने सबको चौंका दिया है लेकिन अपनी काबिलियत के आधार पर यदि कोई जरूरत से ज्यादा जल्दी आगे बढ़ जाता है तो भारतीय जनता पार्टी फिर उसे रोकने में लग जाती है ।
ऐसा ही एक नाम एक नेहा हैं। भाजपा की जुबान.. बोले तो प्रवक्ता हैं। तेज इतनी हैं कि जरा आगे बढ़ती हैं तो सारे के सारे रोकने में लग जाते हैं। पार्टी के सारे महानुभावों को लगता है, पता नहीं किसकी दीवार तोड़कर पद हथिया लेंगी। अभी-अभी उनकी पार्षदी की फाइल चली। चली बाद में, रोकने की चालें पहले शुरू हो गईं। सबसे पहले कृष्णा गौर अड़ी…जहां से टिकट देना है दो दो, बस मेरे यहां मत भेजना। फाइल खिसककर दूसरे विधायक रामेश्वर शर्मा की विधानसभा में पहुंची। सुना था हिम्मत वाले हैं, शेर तक को खंबे पर टांग देते हैं। लेकिन नेहा के नाम पर हिम्मत जवाब दे गई। रोको-रोको…रोको-रोको…का नारा लगने लगा। यहां भी बात नहीं बनी। आखिर में उमाशंकर गुप्ता के वार्ड 44 पर नजर टिकी। नजर क्या टिकी, बस समझो नजर ही लग गई नेहा को। गुप्ता ने संसदीय शब्दों का इस्तेमाल करते हुए फाइल को ऐसा हवा में उछाला कि टिकट ही हवा हो गया। फिलहाल नेता टिकट विहीन हैं, लेकिन ये बीजेपी है साब…यहां पार्टी ने अगर सोच लिया है कि बग्गा की बल्ले-बल्ले करना है तो कर ही देगी, भले ही फिर गुप्ता जी को मार्गदर्शक मंडल में क्यों ना भेजना पड़े। एक-डेढ़ साल ही तो बचा है।


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