महिला आरक्षण सिर्फ दिखावा, टिकिट वितरण में अनदेखी
नारी शक्ति वंदन अधिनियम पारित करने के लिए मोदी सरकार ने बुलाया था विशेष सत्र

नारी शक्ति वंदन अधिनियम के अंतर्गत लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीटों पर आरक्षण का प्रावधान है। इसी 33 फीसदी में से एक तिहाई सीटें अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के लिए आरक्षित की जानी है। नए संसद भवन में 19 सितंबर को नारी शक्ति वंदन विधेयक लोकसभा में पेश हुआ था। 20 सितंबर को लोकसभा में पास होने के बाद 21 सितंबर को यह राज्यसभा से पारित हुआ। महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने विधेयक को मंजूरी दे दी थी जिससे यह कानून में बदल गया। माना जा रहा है कि कानून के अमल में आने बाद लोकसभा और विधानसभा में बहुत कुछ बदल जाएगा लेकिन असल में ऐसा हुआ नहीं। जिस भारतीय जनता पार्टी की मोदी सरकार ने नारी शक्ति वंदन को पारित कराने के लिए विशेष सत्र तक बुलाया था, अधिनियम के पास होने पर भारतीय जनता पार्टी ने खूब ढोल पीटे और खुद ही अपनी पीठ थपथपा ली थी, विपक्ष को घेरा था वही भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा चुनावों में टिकिट वितरण में हकीकत दिखा दी । अभी मध्यप्रदेश , राजस्थान और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में विधानसभा चुनाव है , लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने महिलाओं को आरक्षण के अनुपात में टिकिट नहीं दिए । जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने महिलाओं को 28 और कांग्रेस ने 30 महिलाओं को टिकिट दिए हैं यानी साफ तौर पर देखा जाए तो दोनों ही पार्टियों ने करीब चौदह फीसदी ही टिकिट दिए हैं। टिकटों का अनुपात देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि किस प्रकार से नारी शक्ति वंदन अधिनियम ( महिला आरक्षण ) में 33 फीसदी आरक्षण का दिखावा केंद्र की मोदी सरकार ने किया है।

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