PLACE-YOUR-ADVERT-HERE
add-banner
IMG-20231202-WA0031
IMG_20220718_112253
IMG-20250516-WA0020
IMG-20250516-WA0017
जबलपुरब्रेकिंग न्यूज़भोपालमध्य प्रदेश

राज्यसभा सदस्य व वरिष्ठ अधिवक्ता तन्खा बोले- ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू की गुंजाइश बहुत कम

 

जबलपुर। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्य प्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण के पंचायत चुनाव कराए जाने का जो फैसला सुनाया गया है, उसके खिलाफ रिव्यू की गुंजाइश बहुत कम है। यह कहना है राज्यसभा सदस्य वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा का। उन्होंने साफ किया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में किसी महत्वपूर्ण प्राविधान को छोड़ा नहीं है लिहाज़ा, उसका रिव्यू किये जाने की मांग का ठोस आधार मौजूद नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की नजीर आर ट्रिपल टेस्ट के मापदंड के अनुरूप है। समय रहते यदि मध्य प्रदेश सरकार निर्धारित कदम उठा लेती तो ये स्थिति ओबोसी आरक्षण को लेकर नही बनती। किंतु ऐसा लगता है कि कानून को समझने में सरकार अक्षम है उसके विधिक सलाहकार भी सही मार्गदर्शन देने में पीछे नज़र आ रहे हैं। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान आया है कि ओबीसी आरक्षण के बिना पंचायत चुनाव के फैसले को अध्ययन के बाद रिव्यू के जरिये चुनौती देंगे। बहरहाल, ये देखने लायक बात होगी कि रिव्यू सुनी जाएगी होगी या नहीं।

No Slide Found In Slider.

उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव बिना ओबीसी के होंगे। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव जल्द कराए जाने की याचिका पर फैसला सुनाते हुए यह व्यवस्था दी है साथ ही निर्देश दिए हैं कि 15 दिन के भीतर चुनाव की अधिसूचना जारी की जाए। उधर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश का परीक्षण किया जाएगा। पंचायत और नगरीय निकाय चुनाव में ओबीसी को आरक्षण मिले इसके लिए रिव्यू पिटिशन दाखिल की जाएगी।

याचिकाकर्ता सैयद जाफर, जया ठाकुर के अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने पंचायत और नगरीय निकाय जल्द कराए जाने संबंधी हमारी याचिका पर चुनाव कराने के निर्देश दिए हैं। हमारे तर्कों को सही माना गया है। संविधान के सविधान के अनुसार पांच वर्ष में पंचायत और नगरीय निकायों के चुनाव होने चाहिए लेकिन मध्य प्रदेश में यह तीन साल से नहीं हुए हैं। अब सरकार को चुनाव की अधिसूचना जारी करनी होगी। सुप्रीम कोर्ट में राज्य पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग द्वारा ओबीसी की आबादी को लेकर प्रस्तुत रिपोर्ट को कोर्ट ने अधूरा माना है।

आयोग ने 35 प्रतिशत स्थान पंचायत और नगरीय निकायों में पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित करने की अनुशंसा की थी। आयोग ने दावा किया था कि प्रदेश में 48 प्रतिशत मतदाता पिछड़ा वर्ग के हैं। सरकार से ओबीसी के लिए 35 प्रतिशत स्थान आरक्षित करने के लिए संविधान संशोधन का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजने की सिफारिश भी की गई है। सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने एक बार फिर दोहराया कि हम ओबीसी आरक्षण के साथ ही पंचायतों और नगरीय निकाय चुनाव कराए जाने के पक्ष में है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का परीक्षण करके रिव्यू पिटिशन दाखिल की जाएगी। वहीं, कांग्रेस के महामंत्री जेपी धनोपिया ने कहा कि हमने पूर्व में ही आशंका जाहिर की थी कि आधी अधूरी रिपोर्ट के आधार पर आरक्षण निर्धारित नहीं हो सकता है। सरकार की मंशा ही नहीं है कि पिछड़ा वर्ग को उनका अधिकार मिले।

PicsArt_10-26-02.06.05
Chief Editor JKA

FB_IMG_1657898474749
IMG-20250308-WA0007

Related Articles

Back to top button